700 साल पुराने इस मंदिर की नकल है संसद भवन, तांत्रिक यूनिवर्सिटी के लिए था विख्यात
नई दिल्ली। चौंसठ योगिनी मंदिर, इकोत्तरसो महादेव मंदिर या भारतीय संसद भवन की इमारत की प्रेरणा…कुछ अलग ही कहानी है मध्य प्रदेश में स्थित इस मंदिर की जहां कभी तांत्रिक यूनिवर्सिटी होती थी। इस समय भारत का नया संसद भवन बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई तो ऐसे में हम जानते हैं उस मंदिर के बारे में जिसका मॉडल पर भारतीय संसद बनाई गई है।

चौंसठ योगिनी मंदिर, ग्वालियर से 40 किलोमीटर दूर मुरैना जिले के पढावली के पास, मितावली गांव में है। यह मंदिर 1323 ईस्वी में कच्छप राजा देवपाल द्वारा बनाया गया था। कहा जाता है कि यह मंदिर सूर्य के गोचर के आधार पर ज्योतिष और गणित में शिक्षा प्रदान करने का स्थान था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने मंदिर को 1951 के अधिनियम के तहत एक प्राचीन और ऐतिहासिक स्मारक घोषित किया है।

यहां के जब पुजारी से बात की गई तो उसने मंदिर के बारे में कई रहस्यमय बातें बताईं। उसने कहा कि जब तक महादेव यहां नहीं बुलाते, तब तक कोई भी इस जगह नहीं आ सकता। मैं भी कई बार यहां आने की सोचता हूं तो नहीं आ पाता। यहां कुछ खास बात तो है। जब यह मंदिर सरकार के अधीन नहीं था तब यहां तंत्र की साधना होती थी लेकिन उसके बाद यह सब बंद हो गया।

चौंसठ योगिनी मंदिर, जिसे इकोत्तरसो महादेव मंदिर भी कहा जाता है, लगभग 100 फीट ऊंची एक अलग पहाड़ी के ऊपर खड़ा है। यह गोलाकार मंदिर नीचे खेती किए गए खेतों का शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है। इस मंदिर का नामकरण इसके हर कक्ष में शिवलिंग की उपस्थिति के कारण किया गया है।

यह गोलाकार मंदिर है। भारत में गोलाकार मंदिरों की संख्या बहुत कम है, यह उन मंदिरों में से एक है। यह एक योगिनी मंदिर है जो चौंसठ योगिनियों को समर्पित है।

यह बाहरी रूप से 170 फीट की त्रिज्या के साथ आकार में गोलाकार है और इसके आंतरिक भाग के भीतर 64 छोटे कक्ष हैं। मुख्य केंद्रीय मंदिर में स्लैब के आवरण हैं जो एक बड़े भूमिगत भंडारण के लिए वर्षा जल को संचित करने के लिए उनमें छिद्र हैं। छत से पाइप लाइन बारिश के पानी को स्टोरेज तक ले जाती है।

मंदिर की संरचना इस प्रकार है कि इस पर कई भूकम्प के झटके झेलने के बाद भी यह मंदिर सुरक्षित है । यह भूकंपीय क्षेत्र तीन में है। कई जिज्ञासु आगंतुकों ने इस मंदिर की तुलना भारतीय संसद भवन (संसद भवन) से की है क्योंकि दोनों ही शैली में गोलाकार हैं। कई लोगों ने निष्कर्ष निकाला है कि यह मंदिर संसद भवन के पीछे का प्रेरणा स्त्रोत था।

इस मंदिर के पास ही बटेश्वर में 200 शिव मंदिरों का विशाल कैंपस, पढावली में शाक्त धर्म को समर्पित तांत्रिक मंदिर, शनीचरा और नरेसर के मंदिर हैं जो अपने गौरवशाली इतिहास को समेटे हुए हैं।
कैसे पहुंचे इस ऐतिहासकि धरोहर के पास
मितावली से निकटतम हवाई अड्डा ग्वालियर हवाई अड्डा है जो लगभग 30 KM दूर स्थित है। मितावली से निकटतम रेलवे स्टेशन गोहद रोड रेलवे स्टेशन है। मितावली से गोहद रोड रेलवे स्टेशन की दूरी लगभग 18 किलोमीटर है। मितावली मुरैना और ग्वालियर से बस सेवा द्वारा जुड़ी हुई है। यह मुरैना से लगभग 25 किलोमीटर और ग्वालियर से 40 किलोमीटर दूर है।

यूट्यूब पर वीडियो देखने के लिए इस लिंंक पर क्लिक करें- क्या है संसद भवन और इस शिव मंदिर का कनेक्शन || Chausath Yogini Temple ||
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